लॉकडाउन वाराणसी: दूसरे शहरों से आये लोग फंसे, स्टेशन के सामने भूखे प्यासे कर रहे गुजारा

लॉकडाउन वाराणसी: दूसरे शहरों से आये लोग फंसे, स्टेशन के सामने भूखे प्यासे कर रहे गुजारा


 


कोरोना वायरस ने ऐसे लोगों के सामने बड़ा संकट पैदा कर दिया है जो परिवार से दूर रहकर दूसरे शहरों में काम करते हैं। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान ही लॉकडाउन की घोषणा से फंस गए हैं। ऐसे ही काफी लोग रेल और बस सेवा बंद होने से वाराणसी में भी फंसे हुए हैं। रेल-बस सेवा भी बंद होने से दूसरे शहरों के यह लोग सड़क पर ही रहने को मजबूर हैं। ज्यादातर यूपी के ही अलग अलग शहरों के यह लोग स्टेशन के सामने फ्लाईओवर के नीचे ही तीन दिन से सड़क पर गुजारा कर रहे हैं। खाने पीने की दुकानें भी बंद होने से केवल बिस्कुट खाकर सड़क पर ही पड़े हैं। प्रशासन ने कुछ स्वयंसेवी संगठनों से इनके लिए भोजन का इंतज़ाम करने को कहा है, लेकिन मंगलवार की दोपहर तक कुछ नहीं हो सका था। 


 











वाराणसी में शनिवार तक स्थिति ज्यादा खराब नहीं थी। सभी तरह की दुकानें और प्रतिष्ठान खुल रहे थे। केवल मंदिर और ऐसी जगहों को बंद किया गया जहां लोगों का जमावड़ा हो सकता था। इसके अगले दिन रविवार को जनता कर्फ्यू की पहले से घोषणा हो चुकी थी। जनता कर्फ्यू के दौरान ही एक पॉजिटिव मरीज मिलने के कारण वाराणसी में सोमवार से तीन दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। इससे विभिन्न प्रतिष्ठानों और कार्यालयों ने अपने यहां के कर्मचारियों की छुट्टी करनी शुरू कर दी।  


छुट्टी होने से दूसरे प्रदेशों और जिलों से आकर यहां काम करने वालों के सामने संकट पैदा हो गया। यह लोग अपने घरों को वापस जाने के लिए स्टेशन पहुंचने लगे। इसी बीच ट्रेनों को भी बंद करने की घोषणा से संकट बढ़ गया। लोग अपने घर भी नहीं जा सके। महामारी फैलने की आशंका में स्टेशन से इन्हें हटाया गया तो सड़क ही सहारा बनी। ऐसे लोग स्टेशन के ठीक सामने स्थित फ्लाईओवर के नीचे ही रहने को मजबूर हो गए हैं। 


 आगरा के श्रीचंद के अनुसार वह बनारस काम करने आए थे। अब काम भी नहीं है और दुकानें बंद होने से खाना भी नहीं मिल रहा है। एकतरफ कोरोना का डर मार रहा है तो दूसरी तरफ बिना खाना मरने का डर सता रहा है। बिस्कुट खाकर कब तक सड़क पर रहेंगे। आगरा के ही विनोद तीन दिन से फ्लाईओवर के नीचे रह रहे हैं। विनोद यहां एक फाइव स्टार होटल में काम करते थे। लॉकडाउन की घोषणा होते ही उन्हें होटल से निकाल दिया गया। अब वापस जाने के लिए न ट्रेन मिल रही है न बस है। कोई होटल भी रहने को नहीं मिल रहा है। इससे सड़क पर ही पड़े हैं। 


फ्लाईओवर के नीचे ही तीन दिन से रह रहे कानपुर देहात के नौशाद के अनुसार वह मुंबई में काम करते हैं। वहां पर लॉकडाउन हुआ तो मुंबई पटना एक्सप्रेस में यह सोचकर बैठ गए कि कम से कम प्रयागराज तक पहुंच जाएंगे। वहां से कानपुर चले जाएंगे। प्रयागराज में ट्रेन रुकी तो किसी ने बता दिया वाराणसी से कानपुर के लिए स्पेशल ट्रेन चलने वाली है। वह वाराणसी चले आए। यहां से कोई ट्रेन चली ही नहीं और फंसे हुए हैं। बिस्कुट खाकर गुजारा कर रहे हैं। 


नौशाद, श्रीचंद और विनोद की तरह दर्जनों लोग इसी तरह फ्लाईओवर के नीचे रह रहे हैं। कुछ ऐसे  लोग भी हैं जो परिवार के साथ बनारस घूमने आए थे और फंस गए हैं। इनके आसपास से पुलिस और प्रशासन की गाड़ियां गुजर रही हैं। इन्हें देखकर दूर दूर रहने की नसीहत तो दे रही हैं लेकिन कोई और इंतजाम नहीं कर पा रही हैं। 














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